तुम भी हो और मैं भी
इन लोगों के हुजूम में
बसता है अल्लाह भी और राम भी
इन लोगों के हुजूम में
मर्द भी हैं और औरतें भी
इन लोगों के हुजूम में
बुजुर्गों की दुआ और बच्चों की किलकारियाँ भी
इन लोगों के हुजूम में
डर भी और इंक़लाब भी
इन लोगों के हुजूम में
बसी है जन्नत भी और इनसे ही बनता जहनुम भी
इन लोगों के हुजूम में
इन्हीं लोगों के हुजूम में......
इन लोगों के हुजूम में
बसता है अल्लाह भी और राम भी
इन लोगों के हुजूम में
मर्द भी हैं और औरतें भी
इन लोगों के हुजूम में
बुजुर्गों की दुआ और बच्चों की किलकारियाँ भी
इन लोगों के हुजूम में
डर भी और इंक़लाब भी
इन लोगों के हुजूम में
बसी है जन्नत भी और इनसे ही बनता जहनुम भी
इन लोगों के हुजूम में
इन्हीं लोगों के हुजूम में......