ज़िन्दगी में
काफी कुछ गवाया
थोडा बहुत कमाया
कई मौके त्याग कर
चंद लोगों को अपनाया
कुछ रुपये खर्च करके
ज़रा सी यादें खरीद लीं |
कलम घिस कर
फ़िज़ूल के पाठ रट कर
एक - आधी डिग्री भी
हासिल कर ली
लाखों की नौकरी भी
किसी ने शायद
बक्शीश समझ
के देदी |
वैसे तो
सब कुछ है
दोस्त
दौलत
मकान
खाने को १०० पकवान
हाँ! बस
ज़िन्दगी को
जीने का जूनून
सपनो को देखने
का वो अनमोल
पागलपन
शायद कहीं
दब के मर गया |
काफी कुछ गवाया
थोडा बहुत कमाया
कई मौके त्याग कर
चंद लोगों को अपनाया
कुछ रुपये खर्च करके
ज़रा सी यादें खरीद लीं |
कलम घिस कर
फ़िज़ूल के पाठ रट कर
एक - आधी डिग्री भी
हासिल कर ली
लाखों की नौकरी भी
किसी ने शायद
बक्शीश समझ
के देदी |
वैसे तो
सब कुछ है
दोस्त
दौलत
मकान
खाने को १०० पकवान
हाँ! बस
ज़िन्दगी को
जीने का जूनून
सपनो को देखने
का वो अनमोल
पागलपन
शायद कहीं
दब के मर गया |
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