कितनी खूबसूरत चीज़ है उम्मीद
रोज़ तोडती भी है
और सुबह उठने की ताकत भी देती है;
मारती हर पल है
पर मरने एक बार भी नहीं देती.
वो उम्मीद ही तो है
जिसने साँसों को
चलने का और दिल को
धड़कने की वजह दी है
रोज़ अँधेरी रात
मे सुकून से मुस्कुराते
चाँद को दिखाती है
और
धुप से निकलने वाली
आग मे जलने के बावजूद
भी उसकी रौशनी को सरहाती है
वो उम्मीद है
आती और जाती रहती है
पर क्या खूब ज़िन्दगी का
साथ निभाती है.
रोज़ तोडती भी है
और सुबह उठने की ताकत भी देती है;
मारती हर पल है
पर मरने एक बार भी नहीं देती.
वो उम्मीद ही तो है
जिसने साँसों को
चलने का और दिल को
धड़कने की वजह दी है
रोज़ अँधेरी रात
मे सुकून से मुस्कुराते
चाँद को दिखाती है
और
धुप से निकलने वाली
आग मे जलने के बावजूद
भी उसकी रौशनी को सरहाती है
वो उम्मीद है
आती और जाती रहती है
पर क्या खूब ज़िन्दगी का
साथ निभाती है.
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