आज जब उस वक़्त की
याद आ ही गयी है,
तो ज़रा ज़िक्र भी कर लेते हैं,
उन लम्हों का जिन्हें
तुमने बोया और मैंने सींचा था.
वो सुबह जब तुम आसमान
को देख कर उसकी गहरायी
में बस यूँही खो ज़ाया करते थे
और मैं उन पत्तों को निहारते हुए
तुमसे पूछ रही थी की
ऐसा भी क्या है इस सुबह में
जो आज ना मैं काम कर पा रही हूँ
और ना तुम, बल्कि तुमने तो
ये तक कह दिया की
अभी मुझे निहार लेने दो
उस आसमान को
कल जब में छूँ उसे तो
हम दोनों को अपनापन लगे.
मुझे भी तो सामने वाले पेड़
के पत्तों की गुफ़्तगू ने भी
मंत्रमुग्ध किया हुआ था तो
अब मैं तुम्हारे और उस आसमान
के बीच आती भी तो कैसे?
आज जब वही आसमान
ज़रा सा लाल और वो पत्ते शांत हैं
तो तुम और मैं भी आज अलग
किसी कोने में अपने अंदर
के सैलाब को शांत करने की
आड़ में लगे हुए हैं.
वो रात जब तुम ये सोच
कर परेशान हो गए थे
कि वो स्थिर चंद्र ऐसा
भी क्या ख़ूबसूरत है,
जो हर रात कोई ना कोई
उस को ऐसे देखता है
की उस चाँद से ज़्यादा
सुंदर कुछ और कभी देखा ही नहीं.
ख़ैर, वो वक़्त बीत गया
तुम भी अतीत बन गए
चाँद वही ठेर गया
और रह गयी हमारी यादें.
ख़ूबसूरत. आज़ाद. क़ैद.
याद आ ही गयी है,
तो ज़रा ज़िक्र भी कर लेते हैं,
उन लम्हों का जिन्हें
तुमने बोया और मैंने सींचा था.
वो सुबह जब तुम आसमान
को देख कर उसकी गहरायी
में बस यूँही खो ज़ाया करते थे
और मैं उन पत्तों को निहारते हुए
तुमसे पूछ रही थी की
ऐसा भी क्या है इस सुबह में
जो आज ना मैं काम कर पा रही हूँ
और ना तुम, बल्कि तुमने तो
ये तक कह दिया की
अभी मुझे निहार लेने दो
उस आसमान को
कल जब में छूँ उसे तो
हम दोनों को अपनापन लगे.
मुझे भी तो सामने वाले पेड़
के पत्तों की गुफ़्तगू ने भी
मंत्रमुग्ध किया हुआ था तो
अब मैं तुम्हारे और उस आसमान
के बीच आती भी तो कैसे?
आज जब वही आसमान
ज़रा सा लाल और वो पत्ते शांत हैं
तो तुम और मैं भी आज अलग
किसी कोने में अपने अंदर
के सैलाब को शांत करने की
आड़ में लगे हुए हैं.
वो रात जब तुम ये सोच
कर परेशान हो गए थे
कि वो स्थिर चंद्र ऐसा
भी क्या ख़ूबसूरत है,
जो हर रात कोई ना कोई
उस को ऐसे देखता है
की उस चाँद से ज़्यादा
सुंदर कुछ और कभी देखा ही नहीं.
ख़ैर, वो वक़्त बीत गया
तुम भी अतीत बन गए
चाँद वही ठेर गया
और रह गयी हमारी यादें.
ख़ूबसूरत. आज़ाद. क़ैद.
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