Green Hugs!
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Thursday, 12 March 2015
पर शायद!
चल रहा हूँ
सांस ले रहा हूँ
पर शायद जी नहीं रहा हूँ
उठ रहा हूँ
सो रहा हूँ
पर शायद खवाब नहीं देख रहा हूँ
रो रहा हूँ
मुस्कुरा रहा हूँ
पर शायद अभिव्यक्त नहीं कर रहा हूँ
ज़मीर को झंझोड़ रहा हूँ
ज़ख्मों पर मलहम लगा रहा हूँ
पर शायद सुकून नहीं पा रहा हूँ
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