Sunday, 31 January 2016

बदलाव!

बड़ी अजीब सी बात है
जो कल तक हमे सुनाते थे
हमारी नाकामियाबियों पे मुस्कुराते थे
आज वो
हमारी सुनते है
हमारे गुरूर से जलते हैं।

हम तो तब भी वो ही थे
अब भी वो ही हैं
बस वक़्त बदल गया
हालात सुधर गए
और उन्हें लगा
हमारे चाल ढाल बदल गए।

नाकामियाब हम तब भी ना थे
कामियाब हम अभी ना हैं
नजरिया तब अलग था अब अलग है
और वो कहते है हम अपने ग़म से
वफादार ना निकले। 

दर्द तब भी था
अब भी है
बस मरहम लगाने के
ढंग बदल गए। 

ना वो पुराने ज़ख़्म भरे
ना ये नए दर्द मिटे
बस अब यूँ कहिये
कि हम दिल से ना 
होठों से मुस्कुराना ज़रूर सीख गए।

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