इंसानियत को उभरते हुए
वक़्त को सुधरते हुए
जालिम् ज़माने को बदलते हुए
बेजुबान लोगो को कुछ करते हुए
हम देखेंगे, ज़रूर देखेंगे
नफरत की जगह मोहोबत को बढ़ते हुए
आश्कों की जगह मुस्कान को फेलते हुए
बन्दूक की जगह फूलों को खिलते हुए
अल्लाह और राम को एक साथ पूजते हुए
हम देखेंगे, ज़रूर देखेंगे.
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