Green Hugs!
Channelising chaos into expression.
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कविता
लेख
Tuesday, 14 April 2015
जैसे
मोह का धागा
जैसे
रूह से जुदा तारा
होटों पे मुस्कान
जैसे
खिलखिलाता हो आसमान
सुकून की सांस
जैसे
पानी से बुझे प्यास
संगीत का सुर
जैसे
धडकनों से बना गुरूर
फूलों का रंग
जैसे
जीने का ढंग
रंगों का एहसास
जैसे
प्यार का आभास
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