Sunday, 14 December 2014

नशा!

इंसान अक्सर दिमाग को शांत करने के लिए नशा करता है. पर फिर भी लोग कहते हैं नशा नाश करता है. शायद  करता हो भी. मुझे इस विषय मैं अधिक जानकारी नहीं है. या फिर यु समझ लीजिये की अभी इस पर अपनी टिपण्णी देने योग्य नहीं हुई हूँ.
हो सकता है बिड्डी, शराब इन चीज़ों का नशा बुरा हो. पर मुझे इनका नशा करने की आदत नहीं है. मुझे तो सुर,ताल,रंगो और मुस्कानों का नशा है. ये एक ऐसा नशा है जिससे दिमाग शांत और मन को को सुकून मिलता है. एक अजीब सी शांति का आभास होता है. चंद पलों के लिए ही सही, दुनिया बहुत ही खूबसूरत लगती है. ऐसा लगता है हर पल कितना प्यारा है.
अब आप ही बताये जो आजकल के ज़ालिम ज़माने मैं मई हृदय को सुकून और चैन की एहसास दिलाये उससे छोड़ना उचित होगा क्या? नहीं ना! इसीलिए नाचिये, गाइए, रंगों के सोंदर्य मई खोइए मुस्कुराइए और लोगो के मुस्कुराने की वजह बनिये.
क्या पता इस बहाने आप ज़िन्दगी से रुबरो हो जाएँ!!! :) :D

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