अरे आखिर कहा है वो विद्यालय जहाँ मानव को मानवता का पाठ पढाया जाए?
कौनसी जगह है वो जहाँ पर मज़हब के नाम पर खून ना बहे.?
कोनसा है वो गुरु जो ये बताये की एक ही है वो चाहे अल्लाह कहो या राम?
कहाँ है वो स्थान जहाँ उंच नीच का भेद भाव ना हो?
कौन है जो नफरत मिटा सकता है?
आखिर और कितनी लाशें सजेंगी धर्म के नाम पर?
और कितने लोग मरेंगे अंकों की आड़ मैं?
आखिर कहाँ है कहाँ इन सवालों का जवाब?
जवाब है भी इन सवालों का या नहीं?
या हम इस जालिमियत के आदि हो जाएँ?
No comments:
Post a Comment