Sunday, 17 May 2015

इच्छा तो बहुत थी!

जीने की इच्छा तो बहुत थी
पर फिर भी राख हो गए
मुस्कुराने की इच्छा तो बहुत थी
पर फिर भी अश्कों में बह गए
सुकून की इच्छा तो बहुत थी
पर फिर भी इस घुटन में ही बस गए
रंगों की आस तो बहुत थी 
पर फिर भी बदरंगे से संसार में रह गए 
तमन्नाए तो बहुत थी 
पर फिर भी सबको मार के बैठ गए

Photo By: SHRUTI KANT

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