Thursday, 28 May 2015

उस ज़माने की पहचान!

वो भी एक दौर था
तब वक़्त ही कुछ और था

चन्द्रमा मामा था
सूरज भी मुस्कुराता था

खेलना तो बहाना था
मकसद तो दोस्तों से मिलना- मिलाना था

वक़्त तब गुजारा नहीं
बिताया जाता था

दुश्मन नहीं तब
यार बनाया जाता था

तब तारीख नहीं
जन्मदिन से
दिन की पहचान थी

मुस्कान आन थी
एकाग्रता शान थी

बस यही उस ज़माने
की अनमोल
कुछ अलग
थोड़ी सी अजीब सी
पहचान थी!!

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