उन्होंने कहा....
खुदा की इबादत कर
मैंने पूछा...
कहाँ है वो?
उन्होंने...
मुझे आसमान दिखा दिया
टिमटिमाते तारे
बादलों के पीछे से
मुस्कुराते चाँद
से मुझे मिला दिया
मैंने पूछा......
क्या ये खुदा है??
उन्होंने कहा...
नहीं!
मैंने पूछा...
फिर क्यूँ दिखाया ये आसमान मुझे?
उन्होंने कहा....
खुदा इस आसमान की तरह
असीम और हसीन है
उस खुदा को
ढूंढा नहीं,
महसूस किया जाता
उसको कमरों में कैद नहीं
दिलो में समाया जाता है
धर्म से नहीं
कर्म से पहचाना जाता है
मैंने पूछा.......
ये दिखने में कैसे हैं?
गोरे हैं या काले हैं?
लम्बे हैं पतले हैं?
इनको में पहचानूंगी कैसे?
इनसे मैं माँगूगी क्या?
दौलत?
शौहरत?
या फिर
कुछ और?
उन्होंने मुस्कुराकर.....
पहले मुझे दर्पण दिखाया
फिर कहा
"ऐसा होता है खुदा"
मैने कहा.....
अरे! ये तो में हूँ
और में खुदा नहीं हूँ
मेरे आगे कोई शीश नहीं झुकाता
कोई माथा नहीं टेकता
कोई मुझे नमन नहीं करता
उन्होंने हँसते हुए कहा....
जब तुमने खुदा को
कभी देखा और सुना नहीं
तो तुम्हे कैसे पता
कि उनके आगे लोग कैसा व्यवहार करते हैं,
मैं दो पल शांत रही...
फिर
उन्होंने कहा.....
खुदा कोई
चीज़ या इंसान नहीं है
हाँ! लेकिन
हर इंसान
हर चीज़
में खुदा जरूर है
तुम खुदा हो
मैं खुदा हूँ
ये पेड़ खुदा है
सब कुछ ही खुदा है
इसीलिए वो असीम हैं
मैने कहा.....
फिर क्या मैं सबसे
कुछ- कुछ
मांग सकती हूँ?
उन्होंने कहा....
खुदा का काम क्या माँगना होता है?
मैंने कहा.....
नहीं! वो तो सबको सब कुछ देता है
उन्होंने कहा.....
हाँ!
खुदा तो तुम भी हो
तो तुम्हे भी देना चाहिए
निस्वार्थ
जैसे
एक फूल खुशबू देता है
संगीत सुकून देता है
पेड फल देता है
मैंने कहा....
पर मेरे पास तो देने के लिए कुछ नहीं है.
उन्होंने कहा...
प्यार का नाम सुना है?
मैंने कहा...
हाँ!
उन्होंने कहा...
प्यार से बड़ी अमानत
उससे बेहतर कोई एहसास
आजतक महसूस किया है?
मैंने कहा.......
नहीं!
उन्होंने कहा.....
इस एहसास को बांटो
इसकी एहमियत बताओ
इसकी क़द्र करना सिखाओ
बस कभी कुछ
वापस मिलने
की कामना मत करना
बस अपना काम करना
अपने दिल से
अपनी आत्मा से
मैंने पूछा.......
क्या ऐसा करने से
खुदा बन जाते हैं?
उन्होंने कहा....
कुछ करने से नहीं
लेकिन
कुछ बाँटने से
किसीकी हँसी का कारण बनने से
किसी की दुआओं का
हिस्सा बनने से ज्यादा
ज्यादा अहम क्या होगा?
एक दूसरे की ज़रुरत पूरी करो
ताकि किसी को कभी कुछ माँगना ना पड़े
इतना प्रकाश फेलाओ
की अँधेरा कभी ना रहे
ऐसा काम करो
जिससे सब खुश रहें
और दुःख कोसों दूर रहे
एक ऐसा ज़माना
जहाँ लोग
खुदा की नहीं
मुस्कानों की इबादत करें
क्यूंकि
क्यूंकि
सही मायने में
सुख
चैन
शान्ति
प्रेम
ही खुदा है.
इसको बाँटने वाला खुदा
इसको अपनाने वाला खुदा
इसीलिए तुम खुदा हो
मैं खुदा हूँ
और
इस दुनिया की हर चीज़ खुदा है
इसलिए दुनिया की इबादत करना
खुदा की इबादत करना हुआ ||
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