आँखों में बहता सागर
और
रगों में बहता खून
होता तो ज़रूर है
लेकिन....
इस कमबख्त दिल को
सच मानना गवारा कहाँ |
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जब रगों में खून की जगह
कला के करीब जानेका जूनून बहे,तो ये मान लेना चाहिए
की तुम कला के लिए नहीं
कला की वजह से जी रहे हो ||
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अरज और आवाज़
में उतना ही फरक होता है
जितना की
चोट और ज़ख़्म में होता है..
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पुराने जख्म मिटते नहीं है
बस वक्त के साथ
उन पर धूल जम जाती है...
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रात के अंधेरे में
चंद्रमा की रौशनी
और
दिन की चुभती गर्मी में
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पुराने जख्म मिटते नहीं है
बस वक्त के साथ
उन पर धूल जम जाती है...
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रात के अंधेरे में
चंद्रमा की रौशनी
और
दिन की चुभती गर्मी में
पेड़ की छाँव,
उम्मीद और शीतलता
का प्रतीक होती हैं ।।
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सुरूर तो हमेशा से ही हल्का ही रहा है,
हाँ! जूनून की बात करो
तो बताएं जोश किसे कहते हैं!
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हमेशा तो
तुम अपने खुद के भी नहीं हो,
कोई इंसान या चीज़
कैसे होगी फिर हमेशा के लिए?
का प्रतीक होती हैं ।।
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सुरूर तो हमेशा से ही हल्का ही रहा है,
हाँ! जूनून की बात करो
तो बताएं जोश किसे कहते हैं!
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हमेशा तो
तुम अपने खुद के भी नहीं हो,
कोई इंसान या चीज़
कैसे होगी फिर हमेशा के लिए?
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