Wednesday 20 May 2020

बताना चाहती हूँ!

बताना चाहती हूँ
की तुमसे बेपनाह इश्क़ है मुझे
जताना नहीं है, बस बताना है
मालूम है मुझे है की तुम्हें
इस बात का इल्म मुझसे बेहतर है
पर फिर भी बस बताना है मुझे

बताना चाहती हूँ
की इक रोज़ जब कोई पूछेगा
की अपनी आख़री साँस या
उसकी बस एक और मुस्कान
के बीच चुनना होगा
तब भी मैं वो मुस्कान चुनूँगी

बताना चाहती हूँ
की तुम्हारे होने या ना होने से
फ़र्क़ नहीं पड़ा है.
जब तुम थी सब बहुत खूबसूरत था
अब तुम्हारी याद का सौंदर्य
जीने की वजह सा बन गया है

बताना चाहती हूँ
की तुमसे इश्क़ की चाहत
मेरी ताक़त रही
इसलिए कभी ज़रूरत नहीं बनी शायद
और तुम जैसा कहती हो ज़रूरतों से
हम रिहा भी हो जाएँ
चाहत हमेशा रहती है
दिल के किसी कोने में
मिठास और कड़वाहट लिए
ज़िंदगी का अहसास समेटे हुए
तुम्हारे इश्क़ की चाहत
बनी रही.

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