Wednesday 3 March 2021

इन तमाम मकानों में इक घर हो!

इन तमाम मकानों में इक घर हो,
घर में कुछ खिड़कियाँ हो
जहाँ से सुकून और ज़रा सी उम्मीद आए.

इन तमाम मकानों में इक घर हो,
जहाँ चैन की नींद आए
कुछ ख़्वाबों की किलकारियाँ साथ लाए.

इन तमाम मकानों में इक घर हो,
सवेरा जहाँ चाय पकने के ख़ुशबू से हो
और रात देसी घी के महक से रोशन हो.

इन तमाम मकानों में इक घर हो.....

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