Sunday 20 September 2015

कुछ अलफ़ाज़, बस यूँ ही - 05!

जुनून से बड़ा कोई पागलपन नहीं।
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जिंदगी को जीता नहीं जिया जाता है।
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इस रात के अँधेरे ने इतना कुछ सिखाया है की इससे डरना अब असंभव सा लगता है...
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बंधन तो सिर्फ दिमाग में है।
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मेहनत का तो पता नहीं लेकिन हिम्मत ज़रूर रंग लाएगी..
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अपनी कैद से हो रिहा.....
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कला नादानी का वो पहलु है जिसने मासूमियत की बुनियाद को बनाया और मज़बूत किया है |
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लक्ष्य को पाने की तडप नहीं जुनून होना चाहिए।
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मृत्यु का डर है, ज़िन्दगी से बड़ी कोई सज़ा नहीं है। खुश तो इंसान कहीं नही है।
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घर वो होता है जो पत्थरों से नहीं यादों से बना हो।

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