Friday 11 September 2015

कला और नादानी!

कला नादानी का वो पहलु है जिसने मासूमियत की बुनियाद को बनाया और मज़बूत किया है | सात सुरों का ज्ञाता चंद मात्राओं के बारे में जानने वाला संगीतकार नहीं बन सकता | जब तक अपने अन्दर के भूचाल को नदी के शीतल जल की तरह शांत नहीं कर सकते संगीत से तब तक किसी भी राग या ताल का ज्ञात होना कला अक्षर भैंस बराबर होने जैसा है| संगीत का आविष्कार नहीं हुआ | संगीत उत्पन हुआ है उन तमाम भावनाओं से जिनको रोज़ मररा की ज़िन्दगी में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता है, किन्तु उनको बयां किये बिना रहा भी नहीं जा सकता | एक ऐसी आराधना है संगीत जिसका आराध्य हृदय है, एक ऐसी तपस्या है जिसको करने से चैन मिलता है बंदिशों से आज़ादी की प्राप्ति होती है, और अपने होने का एक एहसास होता है |

शास्त्रीय संगीत का अध्यन उसका सबसे बड़ा अपमान होगा क्यूंकि ये एक ऐसी तपस्या है जिसका न कोई प्रारंभ है न अंत |

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