Saturday 13 June 2015

कुछ अलफ़ाज़, बस यूँ ही - 03!

हार से जीत छीन ने वाले हैं हम, योधा नहीं छात्र हैं हम
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ये शब्दों की वकालत है लेकिन दिलों की अदालत है।
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हारते तो सिर्फ वो है, जो लड़ने की हिम्मत करते है।
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ज़िन्दगी तो बस होंसलों की उड़ान है!
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जीत वो नहीं होती जो किसी को हरा कर मिले।असली जीत तो वो होती है जो सबकी मुस्कान का कारण हो.....
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किसी भी कला मे अपनी जान दाल दो, ज़िन्दगी तो बक्शीश मे ही मिल जाएगी, साथ मे सुकून का आभास शायद तुम्हे ज़िन्दगी जीना भी सिखा दे..
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दामन मैं लगा दाग तो शायद मिट सकता लेकिन एक बार जो सपनों पे लग जाये तो सिर्फ दर्द होता है और कुछ नहीं
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कुछ चीज़ें हम सीखते हैं और कुछ वक़्त सिखाता है!
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कभी कभी गलत गाड़ी ही सही जगह पर पहुंचा देती है. क्यूँ होता है पता नहीं पर होता है ये महसूस किया है मैंने.
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ज़िन्दगी बहुत बड़ी है, अगर डरोगे तो जियोगे कैसे? कुछ नहीं होगा अगर साँसों को ये बता दो की तुम्हे उनकी नहीं उन्हें तुम्हारी ज़रुरत है!


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